🍂🍂।।शिवताण्डवस्तोत्रम्।।🍂🍂
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जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेवलंब्यलम्बिताम् भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्व्यम् चकार चण्डताण्डवम् तनोतु नः शिवः शिवम्।।१।।
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जटाकटाह सम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्जलल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ।।२।।
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धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि।।३।।
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जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदमद्भुतम् बिभर्तु भूतभर्तरि ।।४।।
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सहस्त्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणीविधुसराङ्घ्रिपीठभुः।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियै चिराय जायताम् चकोरबन्धुशेखरः।।५।।
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ललाटचत्वरज्वलद्धनंजयस्फुलिङ्गभा निपीतपञ्चसायकम् नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरम् महाकपालिसम्पदे शिरोजटालमस्तु नः।।६।।
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करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्जवलद् धनञ्जयाहुतिकृतप्रचण्डपञ्चसायके।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम।।७।।
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नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत कुहुनिशीथिनीतमः प्रबंधबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः।।८।।
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प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा वलम्बिकण्ठकन्दलीरूचिप्रबद्धकन्धरम्।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदान्धकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे।।९।।
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अखर्वसर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी रसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं गजान्धकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे।।१०।।
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जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट्।
धिमीद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल ध्वनिक्रमप्रवर्तितप्रचण्डताण्डवः शिवः।।११।।
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दृषद्विचित्रतलपयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजो र्गरिष्ठरत्नलोष्ठयो: सुहृद्विपक्षपक्षयो। तृणारविन्द चक्षुषो: प्रजामहिमहेन्द्रयो: सम्प्रवर्तिकः कदा सदा शिवम् भजाम्यहम्।।१२।।
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कदानिलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन् विमुक्तदुर्मति: सदा शिरस्थ मञ्जलींवहन्।
विलोललोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मन्त्रमुच्चरन्कदा सुखी भवाम्यहम्।।१३।।
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इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम्।।१४।।
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पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं य: शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भु:।।१५।।
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।।इति श्रीरावणकृतं शिवताण्डव स्त्रोतम् सम्पूर्णम्।।
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🙌नमः पार्वती पतये हर हर हर महादेव🙌