आप हम जिस भवन में रहते है उस भवन का आधार उसके स्तम्भ है।
ठीक उसी प्रकार से विचार किया जाए कि हम जिस पृथ्वी पर रहते है उसका आधार या स्तम्भ क्या है,
जिस पर वह टीकी है?
तो इसका उत्तर एक श्लोक में मिलता है l
गोभिर्विप्रैःच वेदैश्च सतीभिःसत्यवादिभिःl
अलुब्धै र्दानशीलैश्च सप्तभि र्धार्यते महीll
इसके अनुसार पहला स्तम्भ है
गौ माता गाय पर पृथ्वी टीकी है और गायो का विलोप हो रहा है!
दूसरा है ब्राह्मण
गुरुदेव कहते है की ब्राह्मणों का भी विलोप हो रहा है,मनुवादी कहकर इन्हें कलुषित दृष्टि से देखा जाता है।
तीसरा है वेद
मानवजन जब अश्लील मनोरंजन को सभ्यता की सीमा में परिभाषित करने लगे और वेदों का विलोप न हो संभव नही l
चौथा स्तम्भ है सती जिनका भी विलोप हो रहा हैl
पांचवा स्तम्भ है सत्यवादी आज से चालीस - पचास वर्ष पूर्व तक व्यक्ति सच बोला करते थेl
जीवनभर में कोई गहन विपत्ति आ जाए और राजा बलि जैसा धैर्य न हो तब एक दो झूठ कहते थे।
पर आजकल का व्यक्ति स्वाभाव से झूठ बोलता है
छटवां स्तम्भ है निर्लोभी आजकल बिना लोभ के कोई कार्य ही नही होता l
सातवाँ स्तम्भ है दानशील
राष्ट्र की रक्षा हेतु दानाशिलो का विलोप हो रहा है।
ऐसे में आप स्वयं ही विचार करें कि यदि किसी भवन के स्तम्भ ही नही रहेंगे तब वह टिकेगा कैसे?
क्योंकि गाय, ब्राह्मण, वेद, सती स्त्री, सत्यवादी इन्सान, निर्लोभी और दानी मनुष्य
इन सात की वजह से पृथ्वी टिकी हुई है....ll
ll हर हर महादेव ll
श्री ऋगवैदिय पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज