Monday, 24 September 2018

गाय, ब्राह्मण, वेद, सती स्त्री, सत्यवादी इन्सान, निर्लोभी और दानी मनुष्य इन सात की वजह से पृथ्वी टिकी हुई है

आप हम जिस भवन में रहते है उस भवन का आधार उसके स्तम्भ है।

ठीक उसी प्रकार से विचार किया जाए कि हम जिस पृथ्वी पर रहते है उसका आधार या स्तम्भ क्या है,
जिस पर वह टीकी है?

तो इसका उत्तर एक श्लोक में मिलता है l

गोभिर्विप्रैःच वेदैश्च सतीभिःसत्यवादिभिःl

अलुब्धै र्दानशीलैश्च सप्तभि र्धार्यते महीll

इसके अनुसार पहला स्तम्भ है

गौ माता गाय पर पृथ्वी टीकी है और गायो का विलोप हो रहा है!

दूसरा है ब्राह्मण
गुरुदेव कहते है की ब्राह्मणों का भी विलोप हो रहा है,मनुवादी कहकर इन्हें कलुषित दृष्टि से देखा जाता है।

तीसरा है वेद
मानवजन जब अश्लील मनोरंजन को सभ्यता की सीमा में परिभाषित करने लगे और वेदों का विलोप न हो संभव नही l

चौथा स्तम्भ है सती जिनका भी विलोप हो रहा हैl

पांचवा स्तम्भ है सत्यवादी आज से चालीस - पचास वर्ष पूर्व तक व्यक्ति सच बोला करते थेl
जीवनभर में कोई गहन विपत्ति आ जाए और राजा बलि जैसा धैर्य न हो तब एक दो झूठ कहते थे।
पर आजकल का व्यक्ति स्वाभाव से झूठ बोलता है

छटवां स्तम्भ है निर्लोभी आजकल बिना लोभ के कोई कार्य ही नही होता l

सातवाँ स्तम्भ है दानशील
राष्ट्र की रक्षा हेतु दानाशिलो का विलोप हो रहा है।

ऐसे में आप स्वयं ही विचार करें कि यदि किसी भवन के स्तम्भ ही नही रहेंगे तब वह टिकेगा कैसे?

क्योंकि गाय, ब्राह्मण, वेद, सती स्त्री, सत्यवादी इन्सान, निर्लोभी और दानी मनुष्य
इन सात की वजह से पृथ्वी टिकी हुई है....ll

ll हर हर महादेव ll

श्री ऋगवैदिय पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज

Saturday, 22 September 2018

संघ के बारे में और शाखा में गायी जाने वाली प्रार्थना

आरएसएस शाखा में नित्य गाई जाने वाली प्रार्थना का हिंदी रूपांतर। (उन समस्त लोगो के लिए जो संघ के बारे में और शाखा में गायी जाने वाली प्रार्थना के बारे में जानने को उत्सुक हैं)

हे प्यार करने वाली मातृभूमि ! मैं तुझे सदा नमस्कार करता हूँ। हे हिन्दू भूमि! तूने मेरा सुख से पालन पोषण किया है। हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो। मैं तुझे बारम्बार नमस्कार करता हूँ।

हे सर्वशक्तिशाली परमेश्वर! हम हिन्दुराष्ट्र के सुपुत्र तुझे आदर सहित प्रणाम करते हैं। तेरे ही कार्य के लिए हमने अपनी कमर कसी हैं। उसकी पूर्ति के लिए हमें अपना शुभाशीर्वाद दे। हे प्रभु ! हमें ऐसी शक्ति दे जिसे विश्व में
कभी कोई चुनौती न दे सके, ऐसा शुद्ध चारित्र्य दे जिसके समक्ष सम्पूर्ण विश्व नतमस्तक हो जाये और ऐसा ज्ञान दे कि स्वयं के द्वारा स्वीकृत किया गया कंटकाकीर्ण मार्ग सुगम हो जाये।

उग्र वीरव्रती की भावना हम में उत्स्फूर्त होती रहे जो उच्चतम आध्यात्मिक सुख एवं महानतम ऐहिक समृद्धि प्राप्त करने का एकमेव एवं श्रेष्ठतम साधन हैं। तीव्र एवं अखंड ध्येयनिष्ठा हमारे अन्तःकरणों में सदैव जागती रहे। तेरी कृपा से हमारी विजयशालीनी संगठित कार्यशक्ति हमारे धर्म का सरंक्षण कर इस राष्ट्र को वैभव के उच्चतम शिखर पर पहुँचाने में समर्थ हो।
।।भारत माता की जय।।