Wednesday, 7 November 2018

 4 वेद 6 शास्त्र 18 पुराण आदि के नाम

चार वेद 4 ved में ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का गूढ़ ज्ञान समेटे हुए सनातन धर्म Sanatan dharma विश्व का प्राचीनतम धर्म है। इसकी समस्त मान्यताएँ और परम्पराएँ पूर्णतः वैज्ञानिक हैं। वस्तुतः यह एक जीवन शैली है जो मनोवैज्ञानिक होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी है। जैन धर्म हो या सिख धर्म या फिर बौद्ध धर्म सब इसी सत्य सनातन धर्म रूपी वट-वृक्ष की ही शाखाएँ-प्रशाखाएँ हैं। इस पर आधारित अग्रोल्लिखित साहित्य समुच्चय विश्व भर में अद्वितीय है।




चार वेद - चार वेदों 4 Ved के नाम क्रमानुसार निम्नलिखित हैं :

ऋग्वेद


यजुर्वेद


सामवेद


अथर्ववेद

 ऋग्वेद को विश्व का प्राचीनतम साहित्य होने का गौरव प्राप्त है ।







उपवेद - चारों वेदों के क्रमशः चार उपवेद हैं, जो निम्नवत् हैं : 

स्थापत्य या शिल्पवेद


धनुर्वेद


गंधर्ववेद


आयुर्वेद

उपनिषद्

ईश


केन


कठ


प्रश्न


मुण्डक


माण्डूक्य


तैत्तिरीय 


ऐतरेय


छान्दोज्ञ


कौषीतकी


वृहदारण्यक


श्वेताश्वर

   हमारा आदर्श राष्ट्रीय वाक्य "सत्यमेव जयते" 'मुण्डकोपनिषद्' से लिया गया है।



 वेदांग - वेदांगों की संख्या छः हैं जिन्हें कभी-कभी शास्त्र 6 Shastra भी कह दिया जाता है। यद्यपि व्यापक अर्थ में  इन्हें शास्त्र कह भी सकते हैं। 

शिक्षा 


कल्प


व्याकरण


निरुक्त


छंद


ज्योतिष


छह 6 शास्त्र - छह शास्त्र अग्रलिखित छह दर्शन के नाम पर जाने जाते हैं। 6 शास्त्र के नाम इस प्रकार हैं :

न्याय शास्त्र


वैशेषिक शास्त्र


सांख्य शास्त्र


योग शास्त्र


मीमांसा शास्त्र


वेदांत शास्त्र


अठारह  18 पुराणों के नाम -

ब्रह्म पुराण


पद्म पुराण


विष्णु पुराण 


वायु पुराण


भागवत पुराण


नारद पुराण


मार्कंडेय पुराण 


अग्नि पुराण 


भविष्य पुराण


ब्रह्म वैवर्त पुराण 


लिंग पुराण 


वराह पुराण 


स्कन्द पुराण 


वामन पुराण 


कूर्म पुराण


मत्स्य पुराण


गरुड़ पुराण


ब्रह्माण्ड पुराण

 उपर्युक्त १८ पुराणों में ब्रह्म पुराण सबसे प्राचीन है ।




इसके अतिरिक्त दो और महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं जो महाकाव्य के रूप में हैं। इन्हें भारतीय इतिहास के प्रमुख साहित्यिक ग्रंथ के रूप मे स्वीकार किया जाता है। 
ये हैं-

रामायण (आदिकाव्य)


और

महाभारत (जय संहिता)

अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथ-

श्रीमद्भगवद्गीता (महाभारत के युद्ध पर्व का अंश)


श्रीरामचरितमानस (तुलसीदास कृत)

 4 वेद 6 शास्त्र 18 पुराण आदि के नाम अथवा किसी अन्य तथ्य में कोई त्रुटि हो तो हमें अवगत कराने की कृपा करें।