ओरण गोचर भंडार
ओरण ऊपजै औषधि, ओरण सुख अनेक। ओरण बचावण आवसक, निश्चै कारज नैक। रोपो सगल़ा रूंखड़ा, रूंखां धरती रूप। नित रहो निरोगा, सुंदर स्वस्थ सरूप।। पीपल पूज्यां पूत पावै, बरगद छांव बहुओर। साल शीशम सफेदा, सागवान सिरमोर।। नीम वसै नारायण रोहिड़े रघुनाथ। कूंबट राजै किशनजी, गुगल़ाणी गणनाथ।। आक धतूरो शिव आरोगै, कपड़ो दैवे कपास। गूंदा लांका गांगेटी, मीठा फल़ मधुमास।। तुलसी हरै रोग ताप, कहिजै चंदन कैर। सरेस जींजण सनसेड़ा, महकै च्यारूंमेर।। खींप सणिया फोग खेजड़ी, बावल़ सिरगू थोर।जाल़ां पाकै पीलू जबरा,बोरड़ियां मृदु बोर।। गीतां अरणी गाइजै, मोठ सनाड़ी मोमामोली़। धामण वालो धैनुवां, मींजल बुई मुरट मोराली़।। ब्ऊ कांटी भुरट बुराड़ो, मखणी बगरो चिड़ीमोठ। लाकड़ियो आकड़ियो लांप, आंख फूटणी आड़कमोठ।। चुतर नार चंदल़ो छमकै, चामकस जोबन चमकावै। गुणी गांठियो गिरामणो, भांगरी सब रोग भगावै।। शंखपुष्पी कहावै सणतर, औखद कारज आवै, खूंभी गोलां खीरड़ी, खास प्रेम सूं खावै।। सोनेला हाडाखड़ साटो, बेकर नागरबैल। लाणो कूरी लेलरू, ऊंठां अंत विसेक।। तोईया खोखा सांगरी, पाका बाटो कैर। चोखा घणा चापटिया, लप सूं लीला लैर।। बैलां पाकै बरसाल़ै, काचर तूस मतीर। मौजां मारै मवेशियों, खायां ऊपजै खीर।। फरहर लागे फूठरा, फागण महिणै फूल। कंचन देह कामणी, कर्यो सिणगार कबूल।। ओरण रूप असतरी, मरूभोम महकाय। ओढ़ पंचरंगी ओढणी, विहंस रही वनराय।।ओरण गोचर मोटो आसरो,सब जीवां रो सास। करत पंखेरू किलोलां, पानां फूलों पास।।गाय माता गिद्ध चील अर गोडावण, बैया पिटिया बाज। कबू कमेड़ी कोचरी, सरगम छैड़े साज।। क्रमशः-----
Saturday, 17 December 2016
ओरण गोचर भंडार
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