यदि पकिस्तान से युद्ध शुरू हो गया होता तब क्या करते.........
आज ढेर सारे मित्र बड़े गुस्से में दिख रहे है। प्रधानमंत्री मोदी पर बहुत गुस्सा आ रहा है।
बड़े नोटों की बंदी से बहुत नाराज़ है ये मित्र। इनकी नाराज़गी बहुत हद तक उचित लगती है क्योकि इनमे से बहुतो को याद भी नहीं है कि इसी देश में अभी 10 -12 साल पहले तक दो किलो चीनी और दो लीटर मिटटी के तेल के लिए दिन भर लाइन में लगाना पड़ता था।
इस लाइन के कारण कई बार बहुत से जरूरी के काम नहीं हो पाते थे।
यहाँ उस बात की चर्चा नहीं बढ़ाऊंगा , पर एक बात जरूर सामने आकर दस्तक दे रही है कि पठानकोट और उडी के आतंकी हमलो के बाद जो लोग लगातार मोदी से पकिस्तान को ख़त्म करने और युद्ध करने की बात करते थे वे कहाँ है??
जो आज नोट के लिए दो घंटे लाइन नहीं झेल पा रहे है , इनमे से ही वे अधिकाँश आवाज़े थी जो मोदी पर तरह तरह के लांछन लगाने में एक दूसरे को पछाड़ा करते थे।
मोदी डरपोक हो गए थे इनकी भाषा में, क्योकि पाकिस्तान पर हमला नहीं कर रहे थे।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी मोदी पर भरोसा नहीं था।
जरा कल्पना कीजिये....
पाकिस्तान से युद्ध लड़ना पड़ता तब क्या करते। तब तो सूरज ढलने के बाद से ही ब्लाक आउट हो जाता।
आप अपने घरो में रोशनी नहीं कर पाते.
बाज़ारो में इस तरह स्वतंत्र रूप से घूम नहीं पाते, तब इस तरह से सोशल मीडिया पर भी कुछ बकवास नहीं लिख पाते,
तब तो न एटीएम काम करता न बैंक,
कब कहाँ किस शहर में बम फटता और किस किस के अपने कहाँ कहाँ मारे जाते ,
लाशें गिनाने और गिनने की भी हिम्मत नहीं रह जाती ,
हर तरफ खूनी मंज़र होता।
सैनिको की लाशो के बक्से रुलाते।
हर मोहल्ला, हर गाँव, हर शहर तबाह होता,
हर ओर सिर्फ तबाही होती।
देश की सेना जीत जाती , यह अलग बात है पर उस दशा में आप का क्या होता?
आप की क्या दशा होती?
क्या तब भी विवाह के लिए पैसे देखते?
बिजली देखते? समय देखते?
या तब केवल अपनी जान की सूझती ?
मित्रो , धन्यवाद दो भगवान का कि "उसने" ऐसे समय में देश को एक ऐसा नायक दिया,
जिसने अपनी सूझ बूझ से दुश्मन के घर में घुस कर ऐसे घेरा की उसकी बोलती आज तक बंद है। अपने उस नायक की बदौलत ही देश वासियो ने जब दशहरा , ईद , बकरीद , मुहर्रम , दीवाली और छठ मना लिया..... तब,
उसने उन आतंकियों , भ्रष्ट माफियाओ , आर्थिक अपराधियो , कालाबाज़ारियों और जमाखोरों के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया।
यह युद्ध वास्तव में कौन लड़ रहा है और किससे लड़ रहा है इस पर भी विचार कीजिये।
यह युद्ध हर ईमानदार भारतवासी लड़ रहा है और पहली बार यह अवसर आया है की बेईमानो के गले तक आपके हाथ पहुच रहे है।
इस समय जो छटपटा रहे है ये वही लोग है जिन्हें कभी कन्हैया कुमार देश का हीरो लगता है और कभी भारत माता की जय बोलने में जिनको शर्म आती है।
आज हम और आप सभी मिल कर माँ भारती के आँचल को पवित्र करने की मुहीम में लगे है।
इस मुहीम पर आंच न आने दीजिये।
हम या आप कोई सीमा पर तोपो और गोलों के बीच जंग नहीं लड़ रहे ,
केवल थोड़ी सी असुविधाएं हो रही है हमें क्योकि हमारी आदत हो गयी है सुविधा और सुविधा शुल्क के बल पर सुविधा लेने की।
इस आदत को बदलिए।
सुनहरे भारत के निर्माण के लिए यह बहुत जरूरी है।
जय राष्ट्र !!!
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