।। जय सियाराम , वन्दे गौ मातरम् ।।
----- गौ-महिमा और गौ-रक्षाकी आवश्यकता _ 2 -----
परन्तु हाय! वे दिन अब चले गये । हिन्दू- जाति अब दुर्बल हो गयी है। हम अपनी स्वतन्त्रता, अपना पुरुषत्व, अपनी धर्मप्राणता, ईश्वर और ईश्वरीय कानूनमें विश्र्वास, शास्त्रोंके प्रति आदरबुद्धि, विचार- स्वातन्त्र्य, अपनी संस्कृति एवं मर्यादाके प्रति आस्था - सब कुछ खो बैठे हैं ।
आज हम आपस की फूट एवं कलह के कारण छिन्न-भिन्न हो रहे हैं । हम अपनी संस्कृति एवं धर्म पर किये गये प्रहारों एवं आक्रमणों को व्यर्थ करने के लिये संघटित नहीं हो सकते । हम अपनी जीवनी शक्ति खो बैठे हैं ।
मूक पशुओंकी भाँति दूसरोंके द्वारा हाँके जा रहे हैं । राजनीतिक गुलामी ही नहीं, अपितु मानसिक गुलामीके भी शिकार हो रहे हैं। आज हम सभी बातों पर पाश्र्चात्त्य दृष्टिकोणसे ही विचार करने लगे हैं ।
यही कारण है कि हमारी इस 'पवित्र भारत भूमि में' प्रतिवर्ष लाखों-करोड़ों की संख्या में गौमाता और उसके पवित्र वंश का संहार किया जा रहा हैं , और हम इसके विरोध में अँगुली तक नहीं उठाते ।
आज हम महाराजा दिलीप और महाधनुर्धारी अर्जुन के इतिहास केवल पढते और सुनते हैं, उनसे हमारी नसों में जोश नहीं भरता। हमारी नपुंसकता सचमुच दयनीय है !
।। गौवंश बचाओ , भारत बचाओ ।।
।। गौ चराण , हमारे प्राण ।।
।। जय गोमाता , जय गोपाल ।।
Friday, 27 January 2017
गौ-महिमा और गौ-रक्षाकी आवश्यकता
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